Friday 18 May 2018

बरखा हवेली बत्वानी होलू रै, छौया मन्दारों कु पाणी होलू रै SAURABH RANA


बरखा हवेली बत्वानी होलू रै, छौया मन्दारों कु पाणी होलू रै
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ये गाना आया है इसको स्वर दिय है उभरते गायक गजेन्द्र राणा और मीना राणा ने , दुरु पर्देसू छौं तुमु अपणु ख्याल रख्यान


बरखा हवेली बत्वानी होलू रै, छौया मन्दारों कु पाणी होलू रै
जाली सुवा घासु का डांडीयों मा, मन विन्कू खुदेणु होलू रै !!



धरयों खांदा मा चाकू कितलू, चुल्ला मा भावरानी च आग !
छन स्वामी परदेश मा देवतों, रख्या राजी तुमु मेरु सुहाग !!



मेरी प्यारी उदास न होई ,मैं छुटी का अरज देणु छौं !
लगदा मंगसीर का मैना,मेरी प्यारी मैं घोर ऑनु छौं !!



लगी सौणकी कुरेडी रोला गदरियों मा ,हौंदु सिंस्याट !
घुट घुट लगदी च बडुली, दिल मा हौंदु धक् धक्द्याट !!!



बौन पंछी , गाड गद्नियों ,मेरी प्यारी खुदेनं न देना !!
होली घासु क जांई बाणु मा तुमु सौं छन वीं रौन न देना !!!



सेवा सौंली, राजी खुसी अपणी तुमु फ़ोन मा दी दयान!
बाटु देखुलू मंगसीर क मैना ,स्वामी घोर जरूर अयान !!



प्यारी कन क्वे कटेला यी दीन,मेरु त्वेसी बिछाडाट करयों च !
बाकि पर्देसू नौकरी क बानाघर गाँव गुठयार छोडीयूँ च !!!!



पर्देसू मा अफु रयान , मेरा बाना नि मन झुराण!
मैं जन्नी छुओं ,अपणाघोर मा स्वामी तुमु अपणु ख्याल रख्यान!!!



सुवा तू अपणु ख्याल रख्यान , बरखा होली बत्वानी होलू रै चौया मंद्रों कु पाणी होलू रै!
जाली सुवा घासु क डंडियों मा, मन विन्कू खुदेणु होलू रै !!!!

सच माना न माना विंकी -2 पछ्याँण कुछ हौरी छैई SAURABH PAHADI BHULA


सच माना न माना विंकी -2 पछ्याँण कुछ हौरी छैई
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सच माना न माना विंकी -2 पछ्याँण कुछ हौरी छैई सच माना न माना विंकी -2 पछ्याँण कुछ हौरी छैई 

बात बिचार बोलन बच्यांणम राष्याँण कुछ हौरी -2 छैइ 
इनी भी नि छै व उनी भी नि छै जन तुम सोचणा तनी -2 छै नि भी 
सच पूछा ता कनी भी नि छै क्या बताण कुछ हौरी छैइ बात बिचार बोलन बच्यांणम राष्याँण कुछ हौरी छैइ 

लाखू कि भीड़ मा देखि छै, भीड़ मा छै पर एकी -2 छै 
बणिगे त बणिगे बिधातन अब नि बणाण कुछ हौरी छैइ 
सच माना न माना विंकी पछ्याँण कुछ हौरी छैइ 
चाल ढाल अन्वार कु नि, जिकर रूप श्रींगार कु -2 नि 
झणि क्या बात उं आंख्युं मा पाण कुछ हौरी छैइ 
बात बिचार बोलन बच्यांणम राष्याँण कुछ हौरी छैइ 
देख्ल्या ता देख्दै रैजैल्या सोच्ल्या ता सोच्दै -2 रैजैल्या 
कलम कंठ रुक गेनी गुण क्या गांण कुछ हौरी छैइ 
सच माना न माना विंकी पछ्याँण कुछ हौरी छैइ 
बात बिचार बोलन बच्यांणम राष्याँण कुछ हौरी छैइ 
सच माना न माना विंकी पछ्याँण कुछ हौरी छैइ

कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं SAURABH RANA

कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं

गढवाली लोकगीत कुमाँऊनी लोकगीत कविता कोश हिन्दी कविताएँ

गढवाली लोकगीत 

कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं 
ये पहाड़ की कुमौ गड़वाल की 
कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं 
रिता कूडों की तीसा भांडों -2 की बगदा मनख्यूं की रडदा डाँडों की 
कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं 
ये पहाड़ की कुमौ गड़वाल की 
कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं 
सर्ग तेरी आशा कब आलू -2 चौमासा
गंगा जमुनाजी का मुल्क मनखी गोर प्यासा 
कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं 
क्या रूडी क्या हयुन्द, पाणी नीच -2 बूंद 
फिर बणी च योजना बल देखा अब क्या हून्द 
कख लगाण छविं 
रिता कूडों की तीसा भांडों -2 की 
बगदा मनख्यूं की रडदा डाँडों की 
कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं 
बैख डुबयाँ दारू मा नौना टुन्न यारू -2 मा 
कजेणी आन्दोलन चलाणी, दफ्तर बाजारू मा 
कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं 
कच्ची गद्न्य छान्यु मा, पक्की खुली दुकान्यु -2 मा 
दारू का उद्योग खुल्याँ उंकी मेहर्बंयु मा 
कख लगाण छविं 
रिता कूडों की तीसा भांडों -2 की 
बगदा मनख्यूं की रडदा डाँडों की 
कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं 
.
 कुड़ी टूटणी ठेस मा छिपाडा लाग्यां रेस -2
मा भीतर मूसा बिराला बस्याँ मनखी भैर देश मा . 
कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं .

न भीतर न भैर कखी भी नीच -2
खैर दिन मा गिज्युं बाघ रात भ्युन्चाला की डैर . 
कख लगाण रिता कूडों की तीसा भांडों -2
की बगदा मनख्यूं की रडदा डाँडों की .
कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं .

जंगल शेर बाघ मा, खेती बाड़ी त्याग -2
मा सार खायी बान्दरून, सगोडी गै उज्याड़ मा . 
कख लगाण छविं रिता कूडों की तीसा भांडों -2
की बगदा मनख्यूं की रडदा डाँडों की 
कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं .

कर्ज गाडी पैन्छू, फैलूं मा अल्झी -2
भैन्सू गोर दुब्याँ बाड़ मा सूखू पोडी ऐंसू . 
कख लगाण छविं रिता कूडों की तीसा भांडों -2
की बगदा मनख्यूं की रडदा डाँडों की .
कख लगाण छविं कैमा लगाण छविं 
ये पहाड़ की कुमौ गड़वाल की 

आवा दिदा भुलौं आवा, नांग धारति की ढकावा , डाळि बनबनी लगावा SAURABH RANA



आवा दिदा भुलौं आवा, नांग धारति की ढकावा , डाळि बनबनी लगावा


गीत

आवा दिदा भुलौं आवा, नांग धारति की ढकावा , डाळि बनबनी लगावा
आवा दयब्तों का नौंकि, डाळि रोपा पुन्न कमावा
हिटा रम्म- झम्म, चला भै ठम्म – ठम्म
हिटा रम्म- झम्म, चला भै ठम्म – ठम्म , ठम्म – ठम्म
हो हो, हो हो हो हो हिटा रे हिटा, चला रे चला, वे हिटा रे हिटा ( पुरुष कोरस )
.
आवा दिदी भुलौं आवा, अपुड़ु बण जंगल बचावा, डाळ्युं पर भेटेंई जावा
आवा भौं कुछ ह्वे जावा, डाळि कटेंण न द्यावा
हिटा रम्म- झम्म, चला भै ठम्म – ठम्म
हिटा रम्म- झम्म, चला भै ठम्म – ठम्म, ठम्म – ठम्म
हो हो, हो हो हो हो हिटा रे हिटा, चला रे चला , भइ हिटा रे हिटा ( महिला कोरस )
.
तुम सैंता यूं थैं, तुमथैं सैंतला ये तुमथैं सैंतला ये – तुमथैं सैंतला ये ( पुरुष कोरस )
तुम पाळा यूं थैं, तुमथैं पाळला ये हो हो हो, हो हो हो हो, हो हो हो हो ( महिला कोरस )
डाळी छिन हमारी, भूख अर तीस
भूख अर तीस – भूख अर तीस
यूं की च छाया मायां, यूं क्वी आसीस
जंगळ हमारा छिन हो हो, जंगळ हमारा छिन – जंगळू का हम

आवा दिदा भुलौं आवा , नांग धारति की ढकावा, डाळि बनबनी लगावा
आवा दयब्तों का नौंकि , डाळि रोपा पुन्न कमावा
हिटा रम्म – झम्म, चला भै ठम्म – ठम्म ( पुरुष कोरस )
हिटा रम्म – झम्म, चला भै ठम्म – ठम्म , ठम्म – ठम्म ( पुरुष कोरस )
मनख्यूं का बैर्यूं, बणु का ब्योपार्युं
बणु का ब्योपार्युं – बणु का ब्योपार्युं ( महिला कोरस )
वापस ल्हिजा तौं, कुलाड़्यूं तौं आर्यूं
आब नी चललू तुमारु जुल्मी कानून
जुल्मी कानून – जुल्मी कानून ( पुरुष कोरस )
अब हम नी होण द्योला, डाळ्यूं को खून
जंगळ हमारा छिन हो हो जंगळ हमारा छिन – जंगळू का हम
आवा दिदी भुलौं आवा, अपुड़ु बण जंगल बचावा, डाळ्युं पर भेटेंई जावा
आवा भौं कुछ ह्वे जावा, डाळि कटेण न द्यावा
हिटा रम्म – झम्म, चला भै ठम्म – ठम्म 
हिटा रम्म – झम्म, चला भै ठम्म – ठम्म , ठम्म – ठम्म 
हो हो, हो हो हो हो हिटा रे हिटा, चला रे चला, भइ हिटा रे हिटा
हो हो, हो हो हो हो हिटा रे हिटा, चला रे चला, भइ हिटा रे हिटा 

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भावार्थ : - आओ भाइयो आओ, वृक्षारोपण करके इस नंगी धरती को ढकें। आओ अपने देवता को समर्पित करते हुए पेड़ लगाएं और पुण्य कमाएं। चलो झूम के चलें, चलो सीना तान के चलें, आओ पेड़ लगायें, वृक्ष लगायें।
आओ बहनो आओ, अपने जंगलों को बचाएं। पेड़ों पर चिपक जायेंगे, भले कुछ भी हो जाये हम इन पेड़ों को कटने नहीं देंगे। चलो झूम के चलें, चलो सीना तान के चलें, आओ पेड़ लगायें, वृक्ष लगायें।
तुम इन पेड़ों का ख्याल रखोगे तो यह भी तुम्हारा ख्याल रखेंगे, तुम इनको पालोगे तो देखना ये भी तुम्हें पालेंगे, जरूर पालेगें। इसलिये चलो झूम के चलें, चलो सीना तान के चलें, आओ पेड़ लगायें, वृक्ष लगायें।
यह पेड़-पौधे अब हमारी भूख-प्यास हैं (यानि इन जंगलों की हमारी भूख-प्यास मिटाने में बहुत बड़ी भूमिका है।)। इनके प्यार और आशीर्वाद की शीतल छाया में हम रहते हैं। यह जंगल हमारे हैं और हम इन जंगलों के हैं। चलो झूम के चलें, चलो सीना तान के चलें, आओ पेड़ लगायें, वृक्ष लगायें।
जंगलों का अवैध कटान करने वाओं को चेतावनी देते हुए कहा गया है-ओ जंगलों के व्यापारियों तुम अपने आरी और कुल्हाड़ियां लेकर वापस लौट जाओ क्यूंकि ये जंगल हमारे हैं इसलिये हम तुम्हारा जंगली कानून चलने नहीं देंगे और ना ही इन जंगलों का खून होने देंगे। चलो झूम के चलें, चलो सीना तान के चलें, आओ पेड़ लगायें, वृक्ष लगायें।


Thursday 1 February 2018

Pahadi Bhula Saurabh Rana पहाड़ी भुला सौरभ राणा